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Showing posts from December, 2019

कहानी एक शिव-भक्त की

​​" केदारनाथ को क्यों कहते हैं   ‘जागृत महादेव’ ?,  एक बार एक शिव-भक्त अपने गांव से केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकला। पहले यातायात की सुविधाएँ तो थी नहीं, वह पैदल ही निकल पड़ा। रास्ते में जो भी मिलता केदारनाथ का मार्ग पूछ लेता। मन में भगवान शिव का ध्यान करता रहता। चलते चलते उसको महीनो बीत गए। आखिरकार एक दिन वह केदार धाम पहुच ही गया।  केदारनाथ में मंदिर के द्वार 6 महीने खुलते है और 6 महीने बंद रहते है। वह उस समय पर पहुचा जब मन्दिर के द्वार बंद हो रहे थे। पंडित जी को उसने बताया वह बहुत दूर से महीनो की यात्रा करके आया है। पंडित जी से प्रार्थना की - कृपा कर के दरवाजे खोलकर प्रभु के दर्शन करवा दीजिये। लेकिन वहां का तो नियम है एक बार बंद तो बंद। नियम तो नियम होता है। वह बहुत रोया। बार-बार भगवन शिव को याद किया कि प्रभु बस एक बार दर्शन करा दो। वह प्रार्थना कर रहा था सभी से, लेकिन किसी ने भी नही सुनी।   पंडित जी बोले अब यहाँ 6 महीने बाद आना, 6 महीने बाद यहा के दरवाजे खुलेंगे। यहाँ 6 महीने बर्फ और ढंड पड़ती है। और सभी जन वहा से चले गये। वह वही पर रोता रहा। रोते-रोते रात होने लगी चारो

CHAR DHAM YATAR

Char Dham Yatra   चार धाम की यात्रा शुरू हो चुकी है. अनेको लोग यात्रा के लिए अपने अपने घरो से प्रस्थान कर चुके है. कई लोगो के लिए चार धाम की यात्रा करना एक सुन्दर सपने के पुरे हो जाने जैसा है. सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि दुनियां के कई देशो से लोग चार धाम की यात्रा के लिए आते है. यहाँ की प्राकर्तिक सुन्दरता, प्राचीनता, और बर्फ से ढकी उत्तराखंड की पहाड़ियों के बीच बने चार धाम श्रधालुओं का मन मोह लेते है. लेकिन क्या आप जानते है चार धाम की यात्रा क्यों की जाती है? चार धाम कौन कौन से है? इन चारो धामों का निर्माण किसने करवाया? शायद कई लोग जो इन यात्रा को कर चुके है वे भी इसके इतिहास के बारे में उतना नहीं जानते. तो चलिए आज इस पोस्ट में हम आपको चार धाम  की यात्रा के बारे में बताते है. चारो धाम के नाम हिन्दू पुराणों के अनुसार बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम को चार धामों में गिना जाता है. इन धार्मिक स्थलों की यात्रा को चार धाम यात्रा कहा जाता था. लेकिन आज आप उत्तराखंड की जिस चार धाम यात्रा के बारे में जानते है असल में वह छोटी चार धाम यात्रा है. इस यात्रा में बद्