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Showing posts from February, 2019

Folk Dances Of Uttarakhand

उत्तराखंड के लोक जीवन में अलग ही ताल और लय है जिसकी छाप यहां के लोकगीत एवं लोकनृत्यों में साफतौर पर परिलक्षित होती है। यहां के लोकगीत नृत्य केवल मनोरंजन ही नहीं बल्कि लोक जीवन के अच्छे-बुरे अनुभवों एवं उनसे सीख लेने की प्रेरणा भी देते हैं। हालांकि आधुनिक परिवेश के समयचक्र में पहाड़ों में बहुत सारे लोकगीत नृत्य विलुप्त हो गए हैं लेकिन बचे हुए लोकगीतों और नृत्यों की अपनी विशेष पहचान है। यहां लगभग दर्जन भर लोकगीतों की विधाएं आज भी अस्तित्व में हैं जिनमें चैती गीत   चौंफला ,  चांछडी   और   झुमैलो सामूहिक रूप से किए जाने वाले गीत-नृत्य हैं। चौंफला गीत शरदकालीन त्योहारों में चांछडी और झुमैलों पहले ही शामिल थे लेकिन अब बासंती खुशी का विशेष गीत चौंफला भी इन त्योहारों में गाया जाने लगा है। झुमैंलो और चांछडी तथा चौंफला तीनों गीतों में पुरुष और महिलाओं की टोली बनाकर या एक ही घेरे में नृत्य किया जाता है। तीनों के नृत्य की शैली भिन्न है किंतु तीनों में श्रृंगार एवं भाव प्रधान होते है। थडिया गीत थडिया गीत भी इसी मौसम में गाया जाता है और ये गीत चौक तथा थडों ( आंगन  ) में गाए जा

चम्पावत: आज लगभग सवा ग्यारह बजे चम्पावत

चम्पावत: आज लगभग सवा ग्यारह बजे चम्पावत से लोहाघाट की ओर जाते समय मारूती स्टीम कार संख्या यूपी-16-के-8119 के ऊपर चीड़ का पेड़ गिरने से उसमें सवार मुन्नी पाण्डेय, उम्र 54 वर्ष, पत्नी केशव दत्त पाण्डेय, निवासी छतार पुनेड़ी, चम्पावत तथा दुर्गा देवी उम्र 72 वर्ष, पत्नी स्व.प्रेमबल्लभ पाण्डेय, निवासी कनलगाव, चम्पावत की चिकित्सालय ले जाते समय मृत्यु हो गई। वाहन में सवार (चालक) विनोद चौधरी, निकट कलक्ट्रेट मामूली रूप से घायल हुए हैं। घटना चम्पावत से लगभग 3 किमी. लोहाघाट की ओर तिलोन के पास हुई। बताया जा रहा है कि कार सवार सभी लोग एक शादी समारोह में जा रहे थे  ......................................................... .viral news facebook... .................................................................

यात्रा 10 मई वर्ष 2019 को खुलेंगे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट।

यात्रा वर्ष 2019 मई 10 को खुलेंगे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट। नरेंद्र नगर( टिहरी):इस यात्रा वर्ष विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 10 मई प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर खुलेगे। आज बसंत पंचमी के अवसर पर नरेंद्र नगर राजदरबार में आयोजित समारोह में कपाट खुलने की तिथि का ऐलान हुआ। गाडू घड़ा (तेल कलश) यात्रा की तिथि 24 अप्रैल नियत हुई । इस अवसर पर सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, राजकुमारी श्रृजा श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष मोहन प्रसाद,रावल ईश्वरा प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन उनियाल, पं कृष्ण प्रसाद उनियाल, थपलियाल, मुख्यकार्यकारी बी.डी सिंह उप मुख्य कार्याधिकारी सुनील तिवारी,ओएसडी जनसंपर्क एएस नेगी, अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी,डिमरी धार्मिक पंचायत अध्यक्ष राकेश डिमरी, आशुतोष डिमरी, आदि मौजूद रहे। (विस्तृत समाचार बाद में प्रेषित किया जा रहा है) (प्रेषक मीडिया प्रभारी बी.के.टी.सी. 10 फरवरी नरेन्द्र नगर से )

valley of flowers uttarakhand

चमोली,  प्रकृति का सौंदर्य देखना हो, तो फूलों की घाटी चले आइए। उत्तराखंड के सीमांत चमोली जनपद के उच्च हिमालयी क्षेत्र में समुद्र तल से 3962 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 87.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली यह घाटी पर्यटकों के लिए कुदरत का अनुपम उपहार है। यह वही घाटी है, जिसका जिक्र रामायण और महाभारत में नंदकानन के नाम से हुआ है। लेकिन वर्तमान में इस घाटी का पता सबसे पहले वर्ष 1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्मिथ और उनके साथी आरएल होल्डसवर्थ ने लगाया। इसकी बेइंतहां खूबसूरती से प्रभावित होकर स्मिथ 1937 में दोबारा घाटी में आए और 1938 में ‘वैली ऑफ फ्लॉवर्स’ नाम से एक किताब प्रकाशित करवाई। वर्ष 1982 में फूलों की घाटी को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी यह घाटी हर साल बर्फ पिघलने के बाद खुद-बखुद बेशुमार फूलों से भर जाती है। यहां आकर ऐसा प्रतीत होता है, मानो कुदरत ने पहाड़ों के बीच फूलों का थाल सजा लिया हो। अगस्त से सितंबर के बीच तो घाटी की आभा देखते ही बनती है। प्राकृतिक रूप से समृद्ध यह घाटी लुप्तप्राय जानवरों काला भालू, हिम तेंदुआ, भूरा भालू, कस्

हेमकुंड साहिब यात्रा

गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल है और हेमकुंड झील के तट पर स्थित है। यह जगह धार्मिक महत्व रखती है, क्यूंकि सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने यहाँ सालों मध्यस्थ किया था।तीर्थस्थान के अंदर जाने से पहले, सिख, झील जो पास में स्थित है उसके पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। झील का पानी बहुत ठंडा है, और वहाँ पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग कक्ष हैं जहां वे पवित्र डुबकी लगते हैं। भक्तगण पास की दुकानों से छोटे स्मृति चिन्ह भी खरीद सकते हैं। गुरुद्वारा के अंदर, भक्तों चाय और खिचड़ी के साथ कराह प्रशाद दिया जाता है, जो चीनी, गेहूं के आटे और घी के बराबर भागों का उपयोग कर तैयार किया जाता है। कराह प्रशाद सभा के बाद भक्तों को दिया जाता है। सभा के दौरान, सिख प्रार्थना करते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब के पृष्ठ के शीर्ष बाएं हाथ की ओर हुकाम्नमा पढ़ते हैं। गुरुद्वारा वर्ष 1960 में बनाया गया था, जब मेजर जनरल हरकीरत सिंह, भारतीय सेना के मुख्य अभियंता ने इस जगह का दौरा किया था। बाद में, वास्तुकार सैली ने गुरुद्वारा के निर्माण का प्रभार लिया था। मुश्किलों भरी है चढ़ाई  हेमकु

Jim Corbett National Park / Uttarakhand

रामनगर रेलवे स्टेशन से 4 किमी की दूरी पर, नैनीताल से 65 किमी, देहरादून से 232 किमी और दिल्ली से  261 किमी    दूर, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित भारत का सबसे पुराना और सबसे लोकप्रिय राष्ट्रीय उद्यान है। यह पार्क बंगाल टाइगर्स ऑफ इंडिया के लिए एक संरक्षण क्षेत्र के रूप में कार्य करता है। यह सुप्रसिद्ध उत्तराखंड पर्यटन स्थलों में से एक है और दिल्ली के पास आने के सर्वोत्तम स्थानों में से एक है। कॉर्बेट नेशनल पार्क को 1 9 36 में हैली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित किया गया था। भारत की आजादी के बाद पार्क का नाम रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान था लेकिन बाद में 1 9 56 में इसे जिम कार्बेट के नाम पर रखा गया था – प्रसिद्ध शिकारी संरक्षणवादी और लेखक बने, जिन्होंने राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। यह क्षेत्र 1 9 73 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत आया था। लगभग 520 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें से 330 वर्ग किलोमीटर मुख्य क्षेत्र बनाता है। हिमालय की निचली भूमि में अपने स्थान के कारण, कई नदियों को पार्क के माध्यम से बहते हैं, विभ

Landour, Uttarakhand

लंढौर उत्तराखंड का अनुछुआ अनसुना पर्यटन स्थल आपको घूमने का शौक है और इस गुलाबी सर्दी में आप किसी हिलस्टेशन का नज़ारा देखना चाहते हैं तो लंढौर आपके लिए बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है। मसूरी के पास यह छोटा-सा पर्यटन स्थल है, जो अपनी खूबसूरती और कुछ खासियतों के कारण टूरिस्ट को आकर्षित करता है। आज हम आपके लिए लाए हैं, वादियों की इस छोटी-सी जगह की जानकारी।  लंढौर कहां घूमें लंढौर में घूमने के लिए यूं तो कुछ खास नहीं है, लेकिन पहाड़ो पर बसा हुआ छोटा सा कस्बा आपको प्रकृति के और भी करीब ले जाता है। लंढौर में आपको एनी जगहों की तरह पर्यटकों का जमावड़ा देखने को नहीं मिलेगा,इसलिए आप यहां खुद के साथ अच्छा समय व्यतीत कर सकते हैं। अगर अप मसूरी आय हुए है तो लंढौर को जरुर घूमे, यहां दिन में ही घूमा जा सकता है। क्या कर सकते हैं लंढौर में 1897 से लंढौर बाजार मसूरी का मुख्य बाजार है। मसूरी से लंढौर बाजार के रास्ते ही लाल टिब्बा तक पहुंचते हैं। दुकानें पुरानी-पुरानी हैं, सौ-सवा साल से भी ज्यादा पुरानी। खाने-पीने से कपड़ों तक सब मिलता है। ज्यादातर टूरिस्ट

Kumaoni & Gadwali Wedding Song

"Swagatam" Garhwali Wedding Song                                             DOWNLOAD