चंडी देवी मंदिर को भक्तो द्वारा सिद्धपीठ के रूप में माना जाता है , जो कि पूजा का एक स्थान है, जहाँ सभी की मनोकामना पूर्ण होती है | यह हरिद्वार में स्थित तीन पीठो में से एक है , दूसरा मनसा देवी मंदिर है और तीसरा माया देवी मंदिर है | विशेष उत्सव जैसे चंडी चौडस और नवरात्र और हरिद्वार के कुम्भ मेले के दौरान कई हज़ार श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी मनोकामना को पूर्ण करने आते है | हरिद्वार में आने वाले तीर्थ यात्रियों को इस मंदिर में एक बार दर्शन केर लिए जरुर आना चाहिए | चंडी देवी मंदिर के निकट अंजना का मंदिर स्थित है , जो कि हनुमान जी की माता थी | चंडी मंदिर आने वाले सभी श्राधालू इस मंदिर में जरुर जाते है | नील पर्वत के आधार पर निल्केश्वर मंदिर भी है |
कहा जाता है कि मनसा और चंडी देवी माता , पार्वती के दो स्वरुप है , जो गंगा के तटो के सामने मौजूद है | ये मान्यता हरियाणा के पंचुला में स्थित माता मनसा देवी के मंदिर के लिए भी मान्य है |
स्थिति
ये मंदिर हरकीपौड़ी से 4 kilometres (2.5 mi) की दुरी पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले चंडीघाट की ओर जाने वाले 3 किलोमीटर के ट्रैकिंग मार्ग पर चलना होता है जिसके पश्चात मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर चढ़कर या फिर उड़नखटोला सुविधा द्वारा इस तीर्थ स्थल तक पंहुचा जा सकता है। इस सुविधा को चंडी देवी उड़नखटोला के नाम से भी जाना जाता है जिसकी स्थापना मुख्य तौर पर तीर्थयात्रियों की सुविधाओं के लिए की गयी है। आपको बता दे केवल चंडी देवी नहीं बल्कि मनसा देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए भी ये सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। ये मार्ग नजीबाबाद रोड पर स्थित गौरी शंकर मंदिर से शुरू होता है और सीधे चंडी देवी मंदिर जो भूमितल से 2,900 metres (9,500 ft) की ऊँचाई पर स्थित है तक पहुंचता है। इस रोपवे मार्ग की कुल लम्बाई 740 metres (2,430 ft) और इसकी ऊँचाई 208 metres (682 ft) है। पहाड़ी के दूसरी तरफ एक घना जंगल है और रोपवे मार्ग पर जाते समय गंगा नदी और हरिद्वार का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है।
मंदिर का संचालन महन्तो द्वारा किया जाता है जो इस मंदिर के पीठासीन पुजारी है। सामान्य दिनों में, मंदिर प्रातः 6.00 am. बजे से शाम 8.00 pm. बजे तक खुल रहता है और मंदिर की प्रातः आरती सुबह 5.30 am बजे प्रारम्भ होती है।
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