उत्तराखण्ड के प्रमुख देवी मंदिरों में शुमार है रामनगर का गिरिजा देवी मंदिर।माता पार्वती का यह मंदिर समूचे पर्वतीय अंचल में श्रद्धा और विश्वास का अद्भुत केंद्र माना जाता है।उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध शहर रामनगर से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर सुंदरखाल गांव के निकट एक छोटी पहाड़ी के ऊपर बने इस देवीधाम की आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य से यहां आने वाले हर श्रद्धालु का मन सहज ही मुग्ध हो जाता है।
खूबसूरत वातावरण शांति एवं रमणीयता का अहसास दिलाता है.यह मंदिर पर्वतीय समाज के मध्य गर्जिया देवी (पार्वती) मंदिर के नाम से भी लोकप्रिय है।
अनेक जनश्रुतियां इस स्थान के तमाम इतिहास बताती हैं कहा जाता है कि वर्तमान गर्जिया मंदिर जिस टीले में स्थित है,वह टीला पौराणिककाल में कोसी नदी की बाढ़ में किसी ऊपरी क्षेत्र से बहकर आ रहा था,मंदिर को टीले के साथ बहते हुए आता देखकर भैरव देव द्वारा उसे रोकने का प्रयास कर कहा- ‘‘थि रौ, बैणा थि रौ’ यानी ‘‘ठहर जाओ बहन,यहां पर मेरे साथ निवास करो तभी से गर्जिया देवी यहीं बस गयीं। मन्दिर कोसी नदी पर स्थित है।या सीधे शब्दों मे कहूँ तो कोसी रोज माँ के चरणों को धोती है।माँ का मन्दिर एक टीले पर स्थित है जहाँ पहुंचने के लिये 90 सीढ़ीयो का निर्माण किया गया है।
गिरिजा माता महात्म्य
भगवान शिव की अर्धांगिनि मां पार्वती का एक नाम गिरिजा भी है, गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उन्हें इस नाम से भी बुलाया जाता है। इस मन्दिर में मां गिरिजा देवी के सतोगुणी रुप में विद्यमान है। जो सच्ची श्रद्धा से ही प्रसन्न हो जाती हैं, यहां पर जटा नारियल, लाल वस्त्र, सिन्दूर, धूप, दीप आदि चढ़ा कर वन्दना की जाती है। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु घण्टी या छत्र चढ़ाते हैं। नव विवाहित स्त्रियां यहां पर आकर अटल सुहाग की कामना करती हैं। निःसंतान दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिये माता में चरणों में झोली फैलाते हैं।
वर्तमान में इस मंदिर में गर्जिया माता की ४.५ फिट ऊंची मूर्ति स्थापित है, इसके साथ ही सरस्वती, गणेश जी तथा बटुक भैरव की संगमरमर की मूर्तियां मुख्य मूर्ति के साथ स्थापित हैं।
इसी परिसर में एक लक्ष्मी नारायण मंदिर भी स्थापित है, इस मंदिर में स्थापित मूर्ति यहीं पर हुई खुदाई के दौरान मिली थी। कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान के पावन पर्व पर माता गिरिजा देवी के दर्शनों एवं पतित पावनी कौशिकी (कोसी) नदी में स्नानार्थ भक्तों की भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है। इसके अतिरिक्त गंगा दशहरा, नव दुर्गा, शिवरात्रि, उत्तरायणी, बसंत पंचमी में भी काफी संख्या में दर्शनार्थी आते हैं। पूजा के विधान के अन्तर्गत माता गिरिजा की पूजा करने के उपरान्त बाबा भैरव ( जो माता के मूल में संस्थित है) को चावल और मास (उड़द) की दाल चढ़ाकर पूजा-अर्चना करना आवश्यक माना जाता है, कहा जाता है कि भैरव की पूजा के बाद ही मां गिरिजा देवी की पूजा का सम्पूर्ण फ्ल प्राप्त होता है।
कैसे पहुंचे
रामनगर तक रेल और बस सेवा उपलब्ध है, आगे आगे के लिए टैक्सी आराम से मिल जाता है। रामनगर में रहने और खाने के लिए कई स्तरीय होटल उपलब्ध है। आप यहां से जिम कार्बेट पार्क भी जा सकते हैं
Comments
Post a Comment
Thank you for comments