उत्तराखंड के गंगोलीहाट की सौन्दर्य से परिपूर्ण छटाओं के मध्य यहां से लगभग 1 किलोमीटर दूरी पर अत्यन्त ही प्राचीन मां भगवती महाकाली का अद्भुत मंदिर हाट कलिका को चाहे धार्मिक दृष्टि से देखें या पौराणिक दृष्टि से हर स्थिति में यह आगन्तुकों का मन मोहने में पूर्णतया सक्षम है।
उत्तराखंड के लोगों की आस्था का केन्द्र महाकाली मंदिर अनेक रहस्यमयी कथाओं को अपने आप में समेटे हुये है। पवित्र पहाड़ों की गोद में बसा हरे भरे वृक्षों के मध्य स्थित यह मंदिर भक्तजनों के लिये जगत माता की ओर से अनुपम भेंट है।
सुंदरता से भरपूर इस मंदिर के एक ओर हरा भरा देवदार का आच्छादित घना जंगल है।आदि शक्ति महाकाली का यह मंदिर ऐतिहासिक,पौराणिक मान्यताओं सहित अद्भुत चमत्कारिक किवदंतियों व गाथाओं को अपने आप में समेटे हुये है।सरयू एवं रामगंगा के मध्य गंगावली की सुनहरी घाटी में स्थित भगवती के इस आराध्य स्थल की बनावट त्रिभुजाकार बतायी जाती है।
'माँ कालिका के इस मंदिर' का पूरे कुमाऊँ क्षेत्र सहित भारतीय फौज की एक शाखा कुमाऊ रेजीमेंट की आस्था और विश्वास का केंद्र भी कहा जाता है,कुमाऊ रेजीमेंट का हाट कालिका से जुड़ाव द्वितीय विश्वयुद्ध (1939 से 1945) के दौरान हुआ। बताया जाता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बंगाल की खाड़ी में भारतीय सेना का जहाज डूबने लगा। तब सैन्य अधिकारियों ने जहाज में सवार सैनिकों से अपने-अपने ईष्ट की आराधना करने को कहा।
कुमाऊ के सैनिकों ने जैसे ही हाट काली का जयकारा लगाया तो जहाज किनारे लग गया। इस वाकये के बाद कुमाऊ रेजीमेंट ने मां काली को अपनी आराध्य देवी की मान्यता दे दी। जब भी कुमाऊ रेजीमेंट के जवान युद्ध के लिए रवाना होते हैं तो कालिका माता की जै के नारों के साथ आगे बढ़ते हैं।
इस मंदिर में महाआरती के बाद शक्ति के पास महाकाली का विस्तर लगाया जाता है और प्रात: काल विस्तर यह दर्शाता है कि मानों यहां साक्षात् कालिका विश्राम करके गयी हों क्योंकि विस्तर में सलवटें पड़ी रहती हैं।
मां काली के प्रति उनके भक्तों के तमाम किस्से आज भी क्षेत्र में सुने जाते है भगवती महाकाली का यह दरबार असंख्य चमत्कार व किवदन्तियों से भरा पड़ा है।
By Air: पिठौरागढ़ शहर में निकटतम हवाई अड्डा केवल 76 किमी दूर है, इसलिए इस पवित्र स्थान तक पहुंचने का सबसे तेज़ तरीका हवा है। हवाई अड्डे को दिल्ली और देहरादून से नियमित उड़ानें मिलती हैं और हवाई अड्डे से गंगोलीहट तक पहुंचने के लिए टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
By Train: मंदिर तक पहुंचने के लिए, हल्द्वानी (काठगोदाम) निकटतम रेलवे स्टेशन होगा जो 1 9 6 किमी दूर है, वहां से कोई भी रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध टैक्सी लेता है, और 7 घंटे की यात्रा आपको इस पवित्र स्थान पर ले जाएगी।
By Road: यदि आप लंबे समय से गाड़ी चलाते हैं और गुड़गांव / दिल्ली से यात्रा करते हैं, तो एनएच 24 ये आपको अपने गंतव्य पर ले जाएगा और आप मुरादाबाद, गजरौला, रामपुर और रुद्रपुर का दौरा करेंगे। फिर आपकी यात्रा हल्द्वानी / काठगोदाम से ऊपर की ओर बढ़ेगी जहां आपको भीमताल मार्ग लेना होगा, करीब लगभग बाद अल्मोड़ा पहुंच जाएगा। हल्द्वानी से 80 किमी (जो कि गुड़गांव / दिल्ली से करीब 400 किमी की दूरी पर है जो कि 11 घंटों के करीब है) आप रात के लिए वहां रह सकते हैं। अगले दिन बाडेछिना - शेरघाट मार्ग, अल्मोड़ा से 5 घंटे की ड्राइव, और आप गंगोलीहट तक पहुंचेंगे
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