गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल है और हेमकुंड झील के तट पर स्थित है। यह जगह धार्मिक महत्व रखती है, क्यूंकि सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने यहाँ सालों मध्यस्थ किया था।तीर्थस्थान के अंदर जाने से पहले, सिख, झील जो पास में स्थित है उसके पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। झील का पानी बहुत ठंडा है, और वहाँ पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग कक्ष हैं जहां वे पवित्र डुबकी लगते हैं। भक्तगण पास की दुकानों से छोटे स्मृति चिन्ह भी खरीद सकते हैं। गुरुद्वारा के अंदर, भक्तों चाय और खिचड़ी के साथ कराह प्रशाद दिया जाता है, जो चीनी, गेहूं के आटे और घी के बराबर भागों का उपयोग कर तैयार किया जाता है। कराह प्रशाद सभा के बाद भक्तों को दिया जाता है। सभा के दौरान, सिख प्रार्थना करते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब के पृष्ठ के शीर्ष बाएं हाथ की ओर हुकाम्नमा पढ़ते हैं। गुरुद्वारा वर्ष 1960 में बनाया गया था, जब मेजर जनरल हरकीरत सिंह, भारतीय सेना के मुख्य अभियंता ने इस जगह का दौरा किया था। बाद में, वास्तुकार सैली ने गुरुद्वारा के निर्माण का प्रभार लिया था।
मुश्किलों भरी है चढ़ाई
हेमकुंड साहिब तक की यात्रा की शुरुआत गोविंदघाट से होती है जो अखलनंदा नदी के किनारे समुद्र तल से 1 हजार 828 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गोविंदघाट तक तो अच्छी सड़कें हैं और यहां तक गाड़ियां आराम से जाती हैं लेकिन इसके ऊपर यानी गोविंदघाट से घांघरिया तक 13 किलोमीटर की चढ़ाई है जो एकदम खड़ी चढ़ाई है। इसके आगे का 6 किलोमीटर का सफर और भी ज्यादा मुश्किलों से भरा है।
ट्रेकिंग करते हुए जाना होता है
झूलते हुए ब्रिज के जरिए अलखनंदा नदी को पारकर गोविंदघाट पहुंचा जाता है। इसके बाद टेढ़ा-मेढ़ा रास्ता सीधा हो जाता है जो नीचे जाती हुई घाटी से होकर जाता है जिसमें खेत भी हैं और कई पेड़-पौधे भी। 3 किलोमीटर बाद लक्षमण गंगा मिलती है जो आगे चलकर अलखनंदा में मिलती है। आगे एक छोटा सा गांव आता है पुलना। इसके बाद की चढ़ाई और भी ज्यादा एक्साइटिंग हो जाती है क्योंकि रास्ते में आपको पत्थरीले पहाड़ और बर्फ से ढ़की पहाड़ की चोटियां दिखने लगती हैं।
प्राकृतिक नजारों से भरपूर है पूरा रास्ता
पुलना से भयंदर गांव के बीच का 7 किलोमीटर का सफर प्राकृतिक खूबसूरती से भरा है। इसमें आपको कई झरने भी देखने को मिलेंगे। 2 किलोमीटर आगे जाकर घांघरिया बेस कैंप आता है जहां से आगे वैली ऑफ फ्लावर्स और हेमकुंड साहिब का रास्ता निकलता है। घांघरिया से हेमकुंड साहिब की दूरी वैसे तो सिर्फ 6 किलोमीटर है लेकिन यहां से पहाड़ की चढ़ाई और भी ज्यादा मुश्किल हो जाती है और इसे पार करने में ही सबसे ज्यादा समय लगता है।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग- देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट नजदीकी एयरपोर्ट है। गोविंदघाट से जॉली ग्रांट की दूरी 292 किलोमीटर है। यहां से गोविंदघाट तक टैक्सी या बस के जरिए पहुंच सकते हैं। गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 19 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है।
रेल मार्ग- हेमकुंड साहिब का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो गोविंदघाट से 273 किलोमीटर दूर है। ऋषिकेश से टैक्सी या बस के जरिए श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, चमोली और जोशीमठ होते हुए गोविंदघाट पहुंच सकते हैं।
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