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Showing posts from June, 2019

उत्तराखंड की प्रियंका बनी मिसेज इंडिया.....ग्रीस में करेंगी देवभूमि का प्रतिनिधित्व

देश-विदेश में उत्तराखंड का नाम रोशन करने वाले युवाओं में अब देवभूमि की एक और बेटी का नाम जुड़ गया। जिसने मिसेज इंडिया बनकर राज्य का नाम तो रोशन किया ही साथ ही वह आगामी अक्तूबर माह में ग्रीस में होने वाली प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व भी करने जा रही है। जी हां… हम बात कर रहे हैं प्रियंका रावत की जिनका चयन मिसेज इंडिया के लिए किया गया है। प्रतियोगिता में प्रियंका की अगुवाई में देशभर की क‌ई महिलाएं भाग लेंगी। बताते चलें कि यह पहला मौका नहीं है जब देवभूमि उत्तराखंड की बेटी मिसेज इंडिया बनी है, इससे पहले भी राज्य की क‌ई बेटियां मिसेज इंडिया बनकर देश-विदेश में राज्य का परचम लहरा चुकी है। बता दें कि  मूल रूप से पौड़ी जिले की रहने वाली प्रियंका ने दिल्ली से अपनी शिक्षा हासिल करने के बाद 14 साल तक एयरलाइन में नौकरी की। प्रियंका के पति दीपक सिंह रावत भी मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं। दून के शास्त्रीनगर की रहने वाली प्रियंका ने बताया कि प्रतियोगिता को लेकर वह बहुत उत्साहित हैं। इससे पहले उन्होंने कई प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया है। साथ

एक अति सुन्दर महिला ने विमान में प्रवेश किया

एक अति सुन्दर महिला ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं। उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है, जिसके दोनों ही हाथ नहीं है। महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई। उस 'सुंदर' महिला ने एयरहोस्टेस से बोला "मै इस सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पाऊँगी क्योंकि साथ की सीट पर जो व्यक्ति बैठा हुआ है उसके दोनों हाथ नहीं हैं। "उस सुन्दर महिला ने एयरहोस्टेस से सीट बदलने हेतु आग्रह किया। असहज हुई एयरहोस्टेस ने पूछा, "मैम क्या मुझे कारण बता सकती है..?" 'सुंदर' महिला ने जवाब दिया "मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाउंगी।" दिखने में पढी लिखी और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला की यह बात सुनकर एयरहोस्टेस अचंभित हुई। महिला ने एक बार फिर एयरहोस्टेस से जोर देकर कहा कि "मैं उस सीट पर नहीं बैठ सकती। अतः मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए।" एयरहोस्टेस ने खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई, पर कोई भी सीट खाली नहीं दिखी।एयरहोस्टेस ने महिला से कह

कहानी अख़बार बेचने वाला बालक

गभग दस साल का  अख़बार बेचने वाला  बालक एक मकान का  गेट बजा रहा है । (उस दिन अखबार नहीं छपा होगा) मालकिन - बाहर आकर पूछी "क्या है ? " बालक - "आंटी जी क्या मैं आपका गार्डेन साफ कर दूं ?" मालकिन - नहीं, हमें नहीं करवाना।" बालक - हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर में.. "प्लीज आंटी जी करा लीजिये न, अच्छे से साफ करूंगा।" मालकिन - द्रवित होते हुए "अच्छा ठीक है, कितने पैसा लेगा ?" बालक - पैसा नहीं आंटी जी, खाना दे देना।" मालकिन- ओह !! आ जाओ अच्छे से काम करना..! (लगता है बेचारा भूखा है पहले खाना दे देती हूँ..मालकिन बुदबुदायी।) मालकिन- ऐ लड़के..! पहले खाना खा ले, फिर काम करना। बालक -नहीं आंटी जी, पहले काम कर लूँ फिर आप खाना दे देना। मालकिन - ठीक है ! कहकर अपने काम में लग गयी। बालक - एक घंटे बाद "आंटी जी देख लीजिए, सफाई अच्छे से हुई कि नहीं। मालकिन -अरे वाह! तूने तो बहुत बढ़िया सफाई की है, गमले भी करीने से जमा दिए। यहां बैठ, मैं खाना लाती हूँ। जैसे ही मालकिन ने उसे खाना दिया! बालक जेब से पन्नी निकाल कर उसमें खाना

भारत का आखिरी गांव माणा

पूरे देश से अदभूत ,  निराला है भारत का आखिरी गांव माणा हिमालय में बद्रीनाथ से तीन किमी आगे समुद्र तल से 11,000 फुट की ऊँचाई पर बसा है भारत का अंतिम गाँव माणा। भारत-तिब्बत सीमा से लगे इस गाँव की सांस्कृतिक विरासत तो महत्त्वपूर्ण है ही, यह अपनी अनूठी परम्पराओं के लिए भी खासा मशहूर है। यहाँ रडंपा जनजाति के लोग निवास करते हैं। पहले बद्रीनाथ से कुछ ही दूर गुप्त गंगा और अलकनंदा के संगम पर स्थित इस गाँव के बारे में लोग बहुत कम जानते थे लेकिन अब सरकार ने यहाँ तक पक्की सड़क बना दी है। इससे यहाँ पर्यटक आसानी से आ जा सकते हैं, और इनकी संख्या भी पहले की तुलना में अब काफी बढ़ गई है। भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित इस गाँव के आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं जिनमें व्यास गुफा, गणेश गुफा, सरस्वती मन्दिर, भीम पुल, वसुधारा आदि मुख्य हैं। बहुत कठिन है जीवन माणा में कड़ाके की सर्दी पड़ती है। छह महीने तक यह क्षेत्र केवल बर्फ से ही ढका रहता है। यही कारण है कि यहां कि पर्वत चोटियां बिल्कुल खड़ी और खुश्क हैं। सर्दियां शुरु होने से पहले यहां रहने वाले ग्रामीण नीचे स्