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Showing posts from February, 2018

Tapkeshwar Temple,Dehradun

टपकेश्वर मंदिर जिसे टपकेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है तथा यह मंदिर पूर्णतः भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर देहरादून शहर के बस स्टैंड (ISBT) से लगभग 5.5 किलोमीटर के दूरी पर स्थित है । यह मंदिर वन की तरफ व एक छोटी सी जल धारा के किनारे पर स्थित है।, तथा यह एक प्राकृतिक गुफा है जिसके अन्दर भगवान शिवलिंग विराजमान है। मंदिर में स्थित शिवलिंग पर चट्टानों से लगातार पानी की बूंदे टपकती रहती हैं जिसके कारण इस मंदिर का नाम टपकेश्वर मंदिर पड़ गया। टपकेश्वर मंदिर के निर्माण के बारे मे कोई जानकारी नहीं है और इस मंदिर को किसने बनाया ना कोई प्रमाण है तथा यह मंदिर आदि अनादी काल से है। ऐसा माना जाता है कि यह तीर्थस्थल गुरू द्रोणाचार्य जी की तपस्थली है। ऐसा माना जाता है कि श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर में जो प्रमुख शिवलिंग है वह स्वयंभू है अर्थात् इस शिवलिंग को किसने बनाया नहीं हैं। श्री टपकेश्वर में मंदिर में एक शिव लिंग जो पूरी तरह रुद्राक्ष से जणा हुआ है तथा यह भक्त गण रुद्राक्ष स्वरुप शिवलिंग के भी दर्शन कर सकते

Laxman Siddh Temple / Dehradun

लक्ष्मण सिध मंदिर देहरादून में घने लुछीला वन के बीच स्थित है। यह हरिद्वार-ऋषिकेश रोड पर जॉली ग्रांट हवाई अड्डे के मार्ग पर मौजूद है। लक्ष्मण सिध मंदिर अपने धार्मिक महत्व के लिए और इसके सुंदर सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर संत स्वामी लक्ष्मण सिध्द का अंतिम संस्कार स्थल है। एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, मंदिर उसी स्थान पर बनाया गया है जहां लक्ष्मण, भगवान राम के छोटे भाई, राक्षस राक्षस को मारने के लिए पश्चाताप कर रहे थे। हर रविवार को, बड़ी संख्या में भक्त इस मंदिर में जाते हैं। लक्ष्मण सिद्ध मेला हर साल अप्रैल महीने के अंतिम रविवार को लक्ष्मण सिद्ध मंदिर में आयोजित किया जाता है। वार्षिक मेले के दौरान हजारों भक्त इस मंदिर की यात्रा करते हैं। इस निष्कर्ष के दौरान आगंतुक क्षेत्र के स्थानीय जनजातियों के संस्कृति और रीति-रिवाजों का अनुभव भी कर सकते हैं। लक्ष्मण सिद्ध मंदिर में बस या टैक्सी द्वारा हररावाला तक आसानी से पहुंचा जा सकता है और फिर मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर ट्रेक हो सकता है। दूरी (देहरादून रेलवे स्टेशन से):       9.5 किलोमीटर

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Binsar Mahadev Temple, Ranikhet

बिनसर उत्तरांचल में अल्मोड़ा से लगभग 34 किलोमीटर दूर है। यह समुद्र तल से लगभग 2412 मीटर की उंचाई पर बसा है। लगभग 11वीं से 18वीं शताब्दी तक ये चांद राजाओं की राजधानी रहा था। अब इसे वन्य जीव अभयारण्य बना दिया गया है। बिनसर झांडी ढार नाम की पहाडी पर है।यहां की पहाड़ियां झांदी धार के रूप में जानी जाती हैं। बिनसर गढ़वाली बोली का एक शब्द है -जिसका अर्थ नव प्रभात है। यहां से अल्मोड़ा शहर का उत्कृष्ट दृश्य, कुमाऊं की पहाडियां और ग्रेटर हिमालय भी दिखाई देते हैं। घने देवदार के जंगलों से निकलते हुए शिखर की ओर रास्ता जाता है, जहां से हिमालय पर्वत श्रृंखला का अकाट्य दृश्‍य और चारों ओर की घाटी देखी जा सकती है।बिनसर से हिमालय की केदारनाथ, चौखंबा, त्रिशूल, नंदा देवी, नंदाकोट और पंचोली चोटियों की 300 किलोमीटर लंबी शृंखला दिखाई देती है, जो अपने आप में अद्भुत है और ये बिनसर का सबसे बड़ा आकर्षण भी हैं। मोहन देवदार के बीच में बिनसर महादेव का पवित्र मंदिर स्थित है।अपनी दिव्यता और आध्यात्मिक माहौल के साथ, यह जगह अपनीनिर्दोष प्रकृति की सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि बिन्सार महादेव 9/10 वी

भांग की चटनी

भांग की चटनी    कैसे बनाएं   :     चटनी नाम सुनते ही आम की चटनी याद आती है लेकिन उत्तराखंड में    भांग की चटनी भी बनाई जाती है  |  उत्तराखंड में लोग भांग के बीजों से चटनी बनाते है   न्युट्रिशन फैक्ट्स ·           57     कैलोरीज / चम्मच ·           4. 5     ग्राम फैट / > चम्मच   कुल समय   ·    10  मिनट सामाग्री   ·     भांग के बीज -  50  ग्राम    ·   हरी मिर्च -  1 ·   नींबू का रस -  4   छोटे चम्मच ·   हरा धनिया (कटा हुआ) -  3  छोटे चम्मच ·   हरा पुदीना (कटा हुआ ) -  3  छोटे चम्मच   ·   नमक -  1/2  छोटा चम्मच साबुत मसाले            ·   साबुत लाल मिर्च -  2            ·   जीरा -  1/2  छोटा चम्मच ऐसे बनाएं   ·           सबसे पहले पैन में भांग के बीज को भून कर अलग रख ले  |  ·           अब साबुत लाल मिर्च और जीरा भी भून ले  |  ·           अब भुने हुए भांग  ,  लाल मिर्च  ,  जीरे को पीस ले  |  ·           अब इसमें पुदीना  ,  धनिया  ,  हरी मिर्च मिला पीसे  |  ·           पीस जाने के बाद इसमें नमक और नींबू का रस मिलाए  |

आलू के गुटके

कहा जा सकता है कि ‘आलू के गुटके’ विशुद्ध रूप से कुमाऊंनी स्नैक्स हैं. उबले हुए आलू को इस तरह से सब्जी के रूप में पकाया जाता है कि आलू का हर टुकड़ा अलग दिखे. और हां, इसमें पानी का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होता. यह मसालेदार होता है और लाल भुनी हुई मिर्च व धनिए के पत्तों के साथ इसे परोसा जाता है. आलू के गुटके के स्वाद को कई गुना बढ़ाने में ‘जखिया’ (एक प्रकार का तड़का) की बेहद अहम भूमिका होती है. आलू के गुटके मडुए की रोटी के साथ भी खाए जाते हैं और शाम को चाय के साथ भी इसका भरपूर लुत्फ लिया जा सकता है. आलू के गुटके कैसे बनाएं   आलू के गुटके बनाने की आसान विधि। उबले आलू से 15 मिनट में बनाएं स्नेक्स रेसिपी। लंच या डिनर के लिए झटपट तैयार होने वाली सब्जी रेसिपी. आलू के गुटके के लिए सामग्री / INGREDIENTS FOR ALOO KE GUTKE आलू (Potato) – 250 ग्राम हल्दी पाउडर (Turmeric Powder) – आधा चम्मच (1/2 TbS) धनिया पाउडर (Coriander Powder ) – 1 चम्मच (1 चम्मच) नमक – स्वाद के अनुसार लाल मिर्च पाउडर (Red Chilli Powder) – ½ चम्मच (1/2 TbS) सूखी

BHARAT MATA MANDIR HARIDWAR

भारत  माता मंदिर , जो मदर इंडिया मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है ,  हरिद्वार में एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भारत  माता को समर्पित है एवं इसका निर्माण प्रसिद्ध धार्मिक गुरु स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी द्वारा करवाया गया था।श्रीमती इंदिरा गांधी ने वर्ष  1983  में इस मंदिर  का उद्घाटन किया था। इस मंदिर में आठ मंजिलें हैं एवं यह  180  फुट की उंचाई पर स्थित है। इस पवित्र स्थल की प्रत्येक मंजिल विभिन्न देवी देवताओं एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित है। इनमें सबसे प्रमुख पहली मंजिल पर स्थित भारत माता की मूर्ती है। दूसरी मंजिल पर शूर मंदिर है जो भारत के शूर वीरों को समर्पित है। तीसरी मंजिल पर मातृ मंदिर है जो भारत की स्त्री शक्ति को समर्पित है। चौथी मंजिल महान भारतीय संतों को समर्पित है। पांचवी मंजिल विभिन्न धर्मों ,  इतिहास ,  एवं भारत के विभिन्न भागों की सुंदरता को प्रदर्शित करती है। छठवीं एवं सातवीं मंजिल पर देवी शक्ति एवं भगवान् विष्णु के विभिन्न अवतार देखे जा सकते हैं। आठवीं मंजिल प्रक्रति प्रेमी और आध्यात्मिक व्यक्ति द